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ENTERTAINMENT | 12:00:00 AM
NEW DELHI:
आयुष्मान अपनी फिल्मों की यूएसपी खुद ही होते हैं और वह दावे भी करते हैं कि फिल्म की कहानी वह ऐसी चुनते हैं जो पहले कहीं देखी सुनी न गई हो। ड्रीमगर्ल का विचार इस मामले में नया नहीं है और फिल्म में आयुष्मान के सामने पूरी फिल्म में इसी विचार को नए विचार के तौर पर पेश करने की चुनौती सामने बनी रही।
कहानी है दिल्ली एनसीआर में भटकने वाले करम की जो गली मोहल्ले के नाटकों, रामलीलाओं में महिला किरदार करता है। महिला स्वर पर उसकी गजब की पकड़ है। स्माइली नाम का उसका एक लंगोटिया यार है और पिता जगजीत हमेशा करम के सिर पर सवार रहता है। नौकरी की तलाश उसे एक खुफिया कॉल सेंटर तक लाती है जहां वह पूजा बनकर लोगों से बातें करने लगता है। कहानी में इसके बाद माही आती है। महेंद्र आता है और आता है राजपाल नाम का पुलिस वाला। ये दोनों पूजा से प्यार की पींगें आसमान तक ले जाएं कि इसी बीच रोमा और टोटो भी पूजा के प्यार में पड़ जाते हैं। एक अनार चार बीमार की कहानी इतनी सी ही है, बस बाकी मजा फिल्म का इसके चुटकुलों, सहज हास्य और चुटीले संवादों में हैं। आयुष्मान खुराना कहानी चुनने के बाद सब कुछ निर्देशक पर यहां भी छोड़ते दिखे हैं। वह हैं भी निर्देशक के एक्टर। बिना ओवरएक्टिंग किए आयुष्मान ने जिस तरह पूजा और करम का संतुलन ड्रीमगर्ल में बनाया है, वह काबिले तारीफ है। दृश्य श्रव्य माध्यम में इस बार पूरा खेल श्रव्य का है और सिनेमा में साउंड का इतना बेहतरीन इस्तेमाल इसके पहले हाल के दिनों में कम ही देखने को मिला है। आयुष्मान अपनी जगह पर चिपक जाने वाले कलाकार हैं, फिल्म को ढोने की इस बार भी जिम्मेदारी भी उनकी ही है। पूरी फिल्म में उनके अलावा जिस कलाकार की अदाकारी पर तालियां बजती हैं वह हैं अन्नू कपूर। नुसरत भरूचा के हिस्से कुछ खास आया नहीं है और विजय राज, अभिषेक शर्मा, निधि बिष्ट आदि ने अपने हिस्से का खास काम खूब कर दिखाया है।
फिल्म का संगीत पक्ष अच्छा है। मीत ब्रदर्स को अरसे बाद अपना हुनर दिखाने का मौका मिला है। अमित गुप्ता का राधे राधे और जोनिटा गांधी का दिल का टेलीफोन उनकी काबिलियत दिखाते हैं। मीत ब्रदर्स के संगीत में काफी विविधता है, बस सही मौके उनको कम मिले हैं। फिल्म फुल टाइम पास है और इस वीकएंड पर दोस्तों और परिवार के साथ देखे जाने लायक भी है।