सरकार का 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक, क्या है कारण ? जाने सबकुछ

By Anant

NATIONAL  | 12:00:00 AM

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NEW DELHI:

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की तरफ से देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार सुबह रक्षा क्षेत्र को लेकर एक बड़ा एलान किया। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय ने रक्षा वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए 101 उपकरणों के आयात पर रोक लगाई है। 

राजनाथ ने कहा कि इस फैसले से रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही भारतीय रक्षा उद्योग को बड़े अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि जिन 101 उपकरणों के आयात पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है, उसमें बड़ी बंदूकों से लेकर मिसाइल तक शामिल हैं। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि इन उपकरणों पर रोक लगाने की यह कवायद 2020 से 2024 के बीच पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में रक्षा क्षेत्र के अन्य उपकरणों को इस सूची में सम्मिलित किया जाएगा। साथ ही सेनाओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वस्तुओं के उत्पादन की समयसीमा सुनिश्चित हो, इसके लिए भी उचित कदम उठाए जाएंगे। 

पिछले पांच सालों में भारत हथियार आयात करने के मामले में दूसरे नंबर पर था। पहले नंबर पर सऊदी अरब काबिज था। वैश्विक रूप से होने वाले हथियारों के आयात में भारत का हिस्सा 9.2 फीसदी का है। इन सब बातों से ये साफ हो जाता है कि बड़ी मात्रा में विदेशी पूंजी को रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यय करना पड़ता है। साथ ही इससे दूसरे मुल्कों पर हथियारों के लिए भारत की निर्भरता का भी पता चलता है। इस कारण यह फैसला लिया गया है। 

इस फैसले के बाद भारत का रक्षा क्षेत्र में दूसरे देशों पर निर्भरता में कमी आएगी। साथ ही भारतीय रक्षा उद्योग को एक नई उड़ान मिलेगी। भारत अपनी सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे देशों से महंगे दाम पर हथियार खरीदता है। इसका असर सरकार के बजट पर भी देखने को मिलता है।

भारत में हथियारों का उत्पादन होने से हम दूसरे देशों को इन्हें निर्यात भी कर पाएंगे। इससे हमारी विदेशी मुद्रा में इजाफा भी होगा। भारत अमेरिका, जर्मनी, इस्राइल और रूस जैसे देशों से हथियारों को आयात करता है और इसके लिए उसे बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। हालांकि, इस फैसले के बाद अब भारत के निजी उद्योग भी रक्षा उपकरणों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेंगे। 

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