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MADHYA PRADESH | 12:00:00 AM
GWALIOR:
ग्वालियर के ऐतिहासिक गोपाल मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान राधाकृष्ण को 110 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के बेशकीमती जेवरातों से सजाया जाएगा। जन्माष्टमी के पर्व को देखते हुए फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक लाख से भी अधिक श्रद्धालु यहां भगवान राधाकृष्ण के दर्शन करेंगे। इस दौरान मंदिर कड़ी सुरक्षा में होगा, लगभग 200 से अधिक सशस्त्र जवान 24 घंटे इस मंदिर को घेरे रहेंगे। ग्वालियर का गोपाल कृष्ण मंदिर सिंधिया राजवंश के समय का है। प्रतिवर्ष जन्माष्टमी पर मंदिर में राधाकृष्ण की मूर्तियों का अदभुत शृंगार कर 110 करोड़ रुपये से भी अधिक के माणक, पुखराज, पन्ना, हीरा लगे जेवरात पहनाये जाते हैं। इसी कारण से जन्माष्टमी पर ग्वालियर और आसपास से एक लाख के लगभग श्रद्धालु बेशकीमती जेवरातों से भगवान राधाकृष्ण के दर्शन करने यहां आते हैं।
माधवराव सिंधिया प्रथम ने भेंट किए जेवरात
गोपाल मंदिर का निर्माण संवंत 1976 में किया गया था और तत्कालीन सिंधिया रियासत के मुखिया माधवराव सिंधिया प्रथम ने 1921 में जन्माष्टमी पर गोपाल मंदिर में राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को जेवरात भेंट किए थे। उन्होंने स्वयं राधाकृष्ण प्रतिमा का शृंगार पुखराज, माणिक, पन्ना से सजे बेशकीमती मुकुट, सोने के तोड़े, भगवान कृष्ण का मुकुट, सफेद मोती का पंचगढ़ी हार, सात लड़ी हार, झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूड़ियां, कड़े आदि से किया था। पुखराज, माणिक, पन्ना जड़े सोने के मुकुट का वजन ही 3 किलो है और पंचगढ़ी हार में 62 असली मोती और 55 पन्ने लगे हैं। इसके साथ ही सोने चांदी के बर्तन, इत्रदान, पिचकारी, चलनी, धूपदान, छत्र मुकुट, कुंभकारिणी निरंजनी भी सोने चांदी के हैं। जिनकी आज बाजार भाव से कीमत 110 करोड़ रुपये से भी ऊपर पहुंच गई है।
प्रतिवर्ष बैंक लॉकर से निकाले जाते हैं जेवरात
राधाकृष्ण भगवान के जेवरात जन्माष्टमी के दिन कड़ी सुरक्षा में बैंक लॉकर से निकाले जाते हैं और दूसरे दिन बैंक के लॉकर में फिर रखवाये जाते है। आजादी के बाद यह बेशकीमती जेवरात मंदिर के पास ही नगर निगम की संपत्ति में हस्तांतरित हो गए थे। इसके बाद यह बैंक लॉकर में ही रहे। 2007 में तत्कालीन निगम आयुक्त डॉ. पवन शर्मा ने निगम संपत्तियों का ब्योरा बनवाया तो इन जेवरातों की जानकारी लगी। बाद में उन्होंने जन्माष्टमी पर राधाकृष्ण के शृंगार के लिए जेवरातों को निकालने के निर्देश दिये थे। तभी से प्रतिवर्ष यह जेवरात जन्माष्टमी पर बैंक लॉकर से निकाले जाते हैं और विधिवत पूजा पाठ कर पहनाये जाते हैं।
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