सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को गाइडलाइंस लागू करने के लिए दिए थे निर्देश, आज खत्म हो रही है डेडलाइन

By MANJARI JAISWAL

NATIONAL  | 12:00:00 AM

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RAIPUR :

टूलकिट पर ट्विटर को केंद्र की सख्त हिदायतों के बीच अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के सामने नई मुसीबत आ गई है। सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए इसी साल 25 फरवरी को गाइडलाइन जारी की थी और इन्हें लागू करने के लिए 3 महीने का समय दिया था। डेडलाइन मंगलवार यानी 25 मई को खत्म हो रही है। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया ने अब तक नहीं बताया है कि गाइडलाइंस को लागू किया गया या नहीं। ऐसे में सरकार इन पर एक्शन ले सकती है।

सभी सोशल मीडिया भारत में अपने 3 अधिकारियों, चीफ कॉम्प्लियांस अफसर, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और रेसिडेंट ग्रेवांस अफसर नियुक्त करें। ये भारत में ही रहते हों। इनके कॉन्टेक्ट नंबर ऐप और वेबसाइट पर पब्लिश किए जाएं। ये प्लेटफॉर्म ये भी बताएं कि शिकायत दर्ज करवाने की व्यवस्था क्या है। अधिकारी शिकायत पर 24 घंटे के भीतर ध्यान दें और 15 दिन के भीतर शिकायत करने वाले को बताएं कि उसकी शिकायत पर एक्शन क्या लिया गया और नहीं लिया गया तो क्यों नहीं लिया गया। ऑटोमेटेड टूल्स और तकनीक के जरिए ऐसा सिस्टम बनाएं, जिसके जरिए रेप, बाल यौन शोषण के कंटेंट की पहचान करें। इसके अलावा इन पर ऐसी इन्फर्मेशन की भी पहचान करें, जिसे पहले प्लेटफॉर्म से हटाया गया हो। इन टूल्स के काम करने का रिव्यू करने और इस पर नजर रखने के लिए भी पर्याप्त स्टाफ हो। प्लेटफॉर्म एक मंथली रिपोर्ट पब्लिश करें। इसमें महीने में आई शिकायतों, उन पर लिए गए एक्शन की जानकारी हो। जो लिंक और कंटेंट हटाया गया हो, उसकी जानकारी दी गई हो। अगर प्लेटफॉर्म किसी आपत्तिजनक जानकारी को हटाता है तो उसे पहले इस कंटेंट को बनाने वाले, अपलोड करने वाले या शेयर करने वाले को इसकी जानकारी देनी होगी। इसका कारण भी बताना होगा। यूजर को प्लेटफॉर्म के एक्शन के खिलाफ अपील करने का भी मौका दिया जाए। इन विवादों को निपटाने के मैकेनिज्म पर ग्रेवांस अफसर लगातार नजर रखें।

50 लाख या इससे ऊपर यूजर बेस वाले मुख्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ये नियम लागू करने के लिए 3 महीने का वक्त दिया गया था। ये मियाद 25 मई को खत्म हो रही है। सिर्फ इंडियन सोशल मीडिया कंपनी कू ने गाइडलाइंस का पालन किया है। इनके अलावा ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी कंपनियों ने अब तक ऐसे किसी कदम की जानकारी नहीं दी है। 3 अफसरों की नियुक्ति के लिए 3 महीने का समय भी पर्याप्त न होने पर सवाल उठता है? कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने गाइडलाइन लागू करने के लिए 6 महीने का वक्त मांगा है। कुछ मामलों में इन प्लेटफॉर्म का स्टैंडर्ड जवाब होता है कि वो अमेरिका स्थित अपने हेडक्वार्टर्स के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। ये प्लेटफॉर्म भारत में काम करते हैं, अच्छा मुनाफा कमाते हैं और गाइडलाइंस पर इन्हें अमेरिका से आदेश मिलने का इंतजार रहता है। ट्विटर जैसे कुछ प्लेटफॉर्म अपने खुद के फैक्ट चेकर रखते हैं, हालांकि इनका नाम कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता और न इस बात में पारदर्शिता है कि ये किस आधार पर कंटेंट हटाते हैं।

अगर डेडलाइन खत्म होने तक किसी भी सोशल मीडिया का जवाब नहीं आता है तो सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी। सूत्रों के मुताबिक, नियमों का पालन नहीं होता है तो सरकार इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को दी हुई इम्युनिटी वापस ले सकती है। इस इम्युनिटी के तहत सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का रोल भारत में intermediary यानी बिचौलिए के तौर पर दर्ज है। इसके मायने यह हैं कि अगर कोई यूजर किसी पोस्ट को लेकर कोर्ट जाता है तो इन प्लेटफॉर्म्स को अदालत में पार्टी नहीं बनाया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि अगर सरकार इम्युनिटी हटा लेगी तो इन सोशल मीडया प्लेटफार्म को भी कोर्ट में पार्टी बनाया जा सकता है। सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर सकती है। वॉट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर भी सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। सरकार ने इसे वापस लेने के लिए कहा है। इसके लिए 18 मई को 7 दिन का नोटिस दिया गया था। वॉट्सऐप ने सोमवार को कहा कि उसने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से मिले नोटिस का जवाब भेज दिया है।

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