By
MADHYA PRADESH | 12:00:00 AM
BHOPAL:
भोपाल: सोमवार की सुबह तक मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का बन रहा आकार फिर टल गया। मंगलवार को भोपाल पहुंच कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फिर कोरोनावायरस से जूझने समेत तमाम कार्यों में व्यस्त हैं। दिल्ली का दो दिन से अधिक समय का दौरा शिवराज सिंह चौहान के लिए काफी कड़वा रहा केंद्रीय नेतृत्व न तो शिवराज के फार्मूले से सहमत है और न ही शिवराज को केंद्रीय नेतृत्व का फार्मूला रास आया। मंत्रिमंडल के विस्तार की एक पूरी कवायद करके फिर जल्द ही शिवराज को दिल्ली पहुंचना है। तब तक राज्य सरकार पांच मंत्रियों के मंत्रिमंडल से ही सरकार चलाएगी। भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया को साधे तो रखना चाहती है, लेकिन उनके ज्यादा लोगों को मंत्री बना कर और उन्हें मनचाहे विभाग देकर सिंधिया को इतना ताकतवर नहीं बनाना चाहती कि वो बीच बीच में दबाव बनाकर सौदेबाजी करें।
मध्य प्रदेश सरकार में दो डिप्टी सीएम होने चाहिए। यह प्रस्ताव शिवराज के लिए भी कड़वे घूंट की तरह है। ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि तुलसी सिलावट को उप मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसी बात के मान सम्मान को लेकर उनकी कांग्रेस पार्टी से नाराजगी थी। दूसरी तरफ नरोत्तम मिश्रा का कद मध्य प्रदेश सरकार में लगातार बड़ा हो रहा है। वह राज्य के गृहमंत्री हैं। मुख्यमंत्री हमेशा गृह मंत्रालय अपने किसी विश्वसनीय मंत्री को देता है या फिर अपने पास रखता है।
नरोत्तम शिवराज का दरबार छोड़कर बाकी भाजपा के सभी बड़े दरबारों में अपनी साख बनाए हुए हैं। पार्टी का एक धड़ा चाहता है कि तुलसी सिलावट कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए हैं। उन्हें डिप्टी सीएम का पद देने के साथ नरोत्तम को भी दिया जाए। नरोत्तम पुराने भाजपाई हैं। ग्वालियर चंबल संभाग में भी अपनी पकड़ रखते हैं। इस बार भाजपा की सरकार बनने के बाद से वह बेहद सक्रिय हैं। इस तरह से एक संतुलन आएगा।
शिवराज की परेशानी यह है कि वह ऐसी जटिल परिस्थिति में पुराने नेता, तीन बारत भाजपा की सरकार में मंत्री रहे लोगों का क्या करें? भूपेन्द्र सिंह, गोपाल भार्गव, यशोधरा राजे सिंधिया को मंत्रिमंडल में क्यों न शामिल करें? इस तरह के करीब 13-14 वरिष्ठ नेताओं को वह भोपाल लौटकर क्या जवाब दें? बताते हैं कहानी कुछ इसी तरह की पेचीदगियों में फंसी है।