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INTERNATIONAL | 12:00:00 AM
DELHI :
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटारेस की यात्रा से पाकिस्तान में उम्मीद जगी है कि असामान्य बाढ़ की आपदा से निपटने में अब उसे दुनिया से अधिक मदद मिलेगी। साथ ही ये आशा भी जताई गई है कि गुटारेस की यात्रा से दुनिया अच्छी तरह इस बात को जान पाएगी कि जलवायु परिवर्तन का पाकिस्तान जैसे गरीब और पिछड़े देशों पर कैसा विनाशकारी असर हो रहा है। गुटारेस दो दिन की पाकिस्तान यात्रा परआज सुबह इस्लामाबाद पहुंचे। अपनी यात्रा के दोनों दिन वे बाढ़ पीड़ित इलाकों का दौरा करेंगे और वहां बुरी तरह प्रभावित हुए लोगों से मिलेंगे।
इस्लामाबाद पहुंचते ही एक ट्विट में गुटारेस ने कहा- ‘विनाशकारी बाढ़ के बाद मैं पाकिस्तान के लोगों के साथ अपनी एकजुटता का इजहार करने आया हूं। मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करता हूं कि जलवायु परिवर्तन के कारण हुए विनाश से जूझ रहे पाकिस्तान को वह विशाल पैमाने पर मदद दे।’ पाकिस्तान सरकार के मुताबिक हाल की बाढ़ में देश का एक तिहाई हिस्सा डूब गया। 1,100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और लाखों घर नष्ट हो गए। कुल मिला कर तीन करोड़ 30 लाख लोगों पर बाढ़ का असर हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 10 बिलियन डॉलर की संपत्ति नष्ट हुई है।
बाढ़ के कराण पाकिस्तान सरकार ने बीते 25 अगस्त को ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ घोषित कर दिया था। जलवायु विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि पाकिस्तान पर पड़ी मार असल में दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के दिख रहे असर का ही हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र के इंटर-गॉवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ने कह चुका है कि अब दुनिया के कई हिस्सों में बारिश बहुत सघन होने लगी है। यह कार्बन गैसों के हुए उत्सर्जन का परिणाम है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पाकिस्तान में जो स्थिति देखने को मिली, वह एक्सट्रीम वेदर की हो रही परिघटना की ही एक मिसाल है।
इस साल जून के मध्य से पाकिस्तान में ठहर-ठहर कर बेहद तेज बारिश का दौर लौटता रहा। अगस्त में ये परिघटना अपने चरम मुकाम पर पहुंच गई। आम तौर पर अगस्त में जितनी बारिश होती है, उससे पांच से सात गुना ज्यादा बारिश इस महीने में पाकिस्तान में हुई। आईपीसीसी ने अपनी 2021 की रिपोर्ट में कहा था कि दक्षिण एशिया में हाल के वर्षों में तीव्र बारिश की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि पाकिस्तान में इस साल मई और जून में गर्म हवाओं का दौर भी लंबा चला। इस बार की गर्म हवाएं अपेक्षाकृत अधिक मारक थीं। इस गर्मी से वातावरण में लो प्रेशर सिस्टम निर्मित हुए, जिससे नमी भरा माहौल बना। सामान्य से अधिक बारिश कराने में इस माहौल का असर भी माना गया है।
जानकारों ने यह भी ध्यान दिलाया है कि पाकिस्तान में स्थित पहाड़ी इलाकों में सात हजार से ज्यादा ग्लेशियर हैं। जब ये ग्लेशियर तेजी से पिघलते हैं, तो नदियों में अचानक बाढ़ आ जाती है। इस बार गर्म हवाओं का दौर लंबा चलने के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघले। उसकी वजह से अचानक नदियों में सामान्य से ज्यादा पानी आ गया।
पाकिस्तान सरकार और यहां के विशेषज्ञों को आशा है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव इन बातों की तरफ दुनिया का ध्यान खीचेंगे, जिससे मुसीबत के वक्त में पाकिस्तान जैसे देशों को तुरंत मदद पहुंचाने की कोई व्यवस्था कायम हो पाएगी।
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