Ghulam Nabi Azad : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद नेआज इस्तीफा दे दिया ,जानिए G-23 समूह क्या है

By DAMINI

POLITICS  | 12:00:00 AM

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DELHI :


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने आज इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे में उन्होंने राहुल गांधी और मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व पर कई आरोप लगाए। सोनिया गांधी को लिखे पांच पेज के इस्तीफे में उन्होंने जी-23 समूह का भी जिक्र किया। इसके बाद एक बार फिर जी-23 चर्चा में आ गया है।

गुलाम नबी ने G-23 को लेकर अपने पत्र में क्या कहा? ये G-23 समूह क्या है? इस समूह में कौन से नेता शामिल हैं? पहली बार ये कब चर्चा में आया था? कब-कब इस समूह ने कांग्रेस में रहकर कांग्रेस की नीतियों का विरोध किया है? 


गुलाम नबी ने G-23 को लेकर अपने पत्र में क्या कहा?
गुलाम नबी ने अपने इस्तीफे में G-23 का जिक्र करते हुए लिखा, ‘अगस्त 2020 में मैंने और 22 अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की बिगड़ती स्थिति को लेकर आपको पत्र लिखा। इन नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री शामिल थे। इस खत को लिखने पर चाटुकार मंडली के नेताओं ने हम लोगों पर हमले किए। हमें बेहद निर्दयिता पूर्वक अपमानित किया गया।’

उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए लिखा, ‘यहां तक कि इस वक्त AICC को चला रही इस मंडली ने जम्मू में मेरी सांकेतिक शवयात्रा तक निकलवाई। जिन लोगों ने ये अनुशासनहीनता की उन्हें दिल्ली में कांग्रेस महासचिवों और राहुल गांधी द्वारा व्यक्तिगत तौर पर सम्मानित किया गया। इस मंडली के लोगों ने पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल के घर पर गुंडों से हमला करवाया। इन 23 लोगों को अपराध केवल इतना था कि इन लोगों ने पार्टी की कमजोरियों और उनके समाधान को लेकर आपको पत्र लिखा था।’

जानिए G-23 समूह क्या है?

G-23 समूह में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। अगस्त 2020 में जब पहली बार इन नेताओं का समूह चर्चा में आया तब इसमें 23 नेता शामिल थे। इसलिए इन्हें G-23 कहा गया। समूह में शामिल रहे जितिन प्रसाद बाद में भाजपा में शामिल हो गए। कपिल सिब्बल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। सिब्बल अब सपा के समर्थन से राज्यसभा सांसद हैं। सिब्बल के बाद अब गुलाम नबी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वहीं, योगानंद शास्त्री भी शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम चुके हैं। कुछ नेताओं ने खुद को इस समूह से अलग कर लिया है।

कौन - कौन से नेता इस समूह में शामिल हैं?

गुलाम नबी आजाद,कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, मुकुल वासनिक, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजिंदर कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, अजय सिंह, राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह, कुलदीप शर्मा, संदीप दीक्षित, विवेक तन्खा। कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, जितिन प्रसाद और योगानंद शास्त्री पार्टी छोड़ चुके हैं।


पहली बार ये कब चर्चा में आया था?

अगस्त 2020 में ये समूह पहली बार चर्चा में आया। उस वक्त इस समूह ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की थी। इस पत्र में 23 नेताओं के हस्ताक्षर थे। इसी वजह से इस समूह को G-23 नाम मिला।
क्या हर चुनाव के बाद ही ये मुखर होता है?

बीते करीब 19 महीने में कांग्रेस के अंदर का ये प्रेशर ग्रुप अक्सर चुनाव के वक्त ही चर्चा में आया है। अगस्त 2020 में जब इस समूह ने पहली बार सोनिया गांधी को पत्र लिखा। उस वक्त राजस्थान के उप मुख्यमंत्री बगावती तेवर अपनाए हुए थे। वहीं, एक महीने बाद ही बिहार में चुनाव तारीखों का ऐलान होने वाला था।

मार्च 2021 में इस समूह ने फिर सुर्खियां बटोरीं। जब एक वेबिनार में राहुल गांधी ने इन नेताओं के विरोध का जिक्र किया। वहीं, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इन नेताओं को एक खुला खत लिखकर इन पर कई सवाल उठाए। उस वक्त भी पांच राज्यों में चुनाव का ऐलान होना था। इनमें केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, बंगाल और असम में चुनाव होने थे।

साल की शुरुआत में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर ये नेता चर्चा में आए। इसके अलावा भी गाहे बगाहे ये नेता अपने बयानों और ट्वीट से पार्टी और गांधी परिवार से मुश्किल सवाल पूछते रहते हैं। पंजाब में चुनाव से पहले जारी कलह पर मनीष तिवारी अक्सर बोलते रहते थे। पंजाब से आने वाले मनीष तिवारी को पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस नेतृत्व ने हाशिए पर रखा था। दो दिन पहले ही मनीष तिवारी पंजाब में एक कार्यक्रम के दौरान नजर आए थे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। उस वक्त भी सोशल मीडिया पर तिवारी और प्रधानमंत्री की तस्वीरें वायरल हुई थीं।

थरूर भी बढ़ाते रहते हैं मुश्किल

G-23 में शामिल कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी पार्टी नेतृत्व से मुश्किल सवाल पूछते रहते हैं। पांच राज्यों के नतीजे के बाद भी उन्होंने पार्टी की हार पर ट्वीट किया था। उन्होंने कहा कि पार्टी हारी है, पराजित नहीं हुई है। उन्होंने चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए भाजपा को बधाई भी दी। उन्होंने ट्वीट किया कि कांग्रेस अभी भी योग्य विरोधी साबित होगी। जैसा मेरे सहयोगी आलिम जावेरी ने कहा, हम हारे हैं लेकिन पराजित नहीं हुए हैं। हमारा विश्वास, मूल्य और हमारी विरासत की भावना बहुत गहरी है और आगे भी बनी रहेंगी। कांग्रेस नेता अजय कुमार ने भी ट्वीट करके कहा था कि दुखी हैं लेकिन टूटे नहीं हैं। हिले हैं लेकिन बिखरे नहीं। दिल छोटा न करें, धर्मी अकेले और कठिन लड़ाई लड़ते हैं।

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