Gyanvapi Survey : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हुए सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पंहुचा , हिंदू और मुस्लिम पक्षों के अपने-अपने दावे

By DAMINI

NATIONAL  | 12:00:00 AM

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DELHI:

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हुए सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। आज इस सर्वे के खिलाफ शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी है। उधर, वाराणसी कोर्ट में आज पेश होने वाली सर्वे रिपोर्ट लटक गई है। दरअसल, 14 से 16 मई तक चले सर्वे की रिपोर्ट आज वाराणसी कोर्ट में पेश की जानी थी, लेकिन अभी तक सिर्फ 50 फीसदी रिपोर्ट ही तैयार है। असिस्टेंट कोर्ट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने बताया कि, "केवल 50% रिपोर्ट तैयार है, यह अभी पूरी नहीं हुई है। इसलिए आज इसे अदालत के समक्ष पेश नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने बताया हम कोर्ट से मांगेंगे तीन से चार दिन के समय की मांग करेंगे। हालांकि, विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने कहा है कि रिपोर्ट लगभग तैयार है। हम कोशिश करेंगे कि कोर्ट द्वारा निर्धारित समय पर ही रिपोर्ट पेश की जाए। 

मस्जिद कमेटी की याचिका पर शीर्ष अदालत में सुनवाई 
ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट आज इस पर सुनवाई कर सकता है। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने से हाईकोर्ट के इनकार के बाद यह याचिका दाखिल की है। समझा जा रहा है कि दोपहर एक बजे शीर्ष कोर्ट में यह सुनवाई होगी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ इस मामले को सुनेगी। 

हिंदू और मुस्लिम पक्षों के अपने-अपने दावे 
दो दिन से जारी गहमागहमी के बीच ज्ञानवापी परिसर में अभी तक हुए सर्वे को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने अपने-अपने दावे किए हैं। दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेवश्वर नाथ मंदिर विवाद मामले में सोमवार को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रही। मंदिर पक्ष की ओर से कोर्ट को बताया गया कि निचली अदालत के आदेश पर कराए जा रहे सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग मिला है। इसके अलावा मंदिर से जुड़ी कई अन्य चीजें भी सामने आईं हैं। निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के उस एरिया को सील करा दिया है, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। करीब एक घंटे तक चली सुनवाई में केवल मंदिर पक्ष की ओर से तथ्य पेश किए गए। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 20 मई की तिथि निर्धारित की है। उस दिन याची पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया अपना पक्ष प्रस्तुत करेगी। 

हाईकोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ
मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी पेश हुए। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में एक बड़ा शिवलिंग मिला है। निचली अदालत ने उस एरिया को सील करा दिया है। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि  सन 1936 में दीन मोहम्मद, मोहम्मद हुसैन व मोहम्मद जकारिया ने बनारस की अधीनस्थ अदालत में वाद दायर किया था। इसमें मौजा शहर खास, परगना देहात अमानत, बनारस गाटा संख्या 9130, एक बीघा नौ बिस्वा छह धूर, चबूतरा, पेड़, पक्का कुआं आदि को वक्फ संपत्ति घोषित करने और अलविदा नमाज पढ़ने अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। अधिवक्ता के मुताबिक कोर्ट ने दावा साबित नहीं कर पाने के कारण यह वाद खारिज कर दिया था। 

इसके खिलाफ हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर हुई। उसमें केवल याची को नमाज पढ़ने की राहत मिली थी, जिसका फायदा दूसरा कोई नहीं उठा सकता। वह आदेश सामान्य मुसलमानों के लिए नहीं है। इसलिए वक्फ संपत्ति हिंदुओं के विरुद्ध नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि याची पक्ष सुप्रीम कोर्ट के जिन पांच जजों की पीठ के फैसले पर भरोसा कर रहा है, जबकि राम जन्म भूमि वाले मामले में सात जजों की पीठ का फैसला ज्यादा महत्वपूर्ण है। ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में वह अधिक प्रभावी है। 

अगली सुनवाई पर वक्फ बोर्ड रखेगा अपना पक्ष
मंदिर पक्ष की ओर से तर्क दिए जाने के बाद मामले में वक्फ बोर्ड की ओर से भी पेश हुए अधिवक्ता एसएएफ नकवी ने अपना पक्ष रखना चाहा, लेकिन समय की कमी को देखते हुए कोर्ट ने उनकी बहस को नहीं सुना और 20 मई की तिथि तय कर दी। कोर्ट ने कहा कि  मामले में आगे की सुनवाई पर वक्फ बोर्ड केपक्ष को पहले सुना जाएगा। इसके बाद मंदिर पक्ष की बाकी बहस को पूरा सुना जाएगा।

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