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MUMBAI:
महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाने पर अड़ी शिवसेना का एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाना लगभग तय माना जा रहा है। इसका एलान जल्द हो सकता है। हालांकि राज्य की सत्ता की खातिर कट्टर हिंदुत्व की हिमायती शिवसेना को वीर सावरकर को भारत रत्न देने की अपनी मांग और मुस्लिमों को पांच फीसदी आरक्षण के विरोध को त्यागना पड़ सकता है। सीएम पद शिवसेना को मिलेगा और कांग्रेस तथा एनसीपी से एक-एक डिप्टी सीएम होेंगे। सूत्रों का कहना है कि तीनों दलों के नेताओं की गुरुवार को हुई बैठक में न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार किया गया। इसे मंजूरी के लिए तीनों दलों के शीर्ष नेताओं को भेजा गया है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम 1998 में एनडीए के नेशनल एजेंडा फॉर गवर्नेंस के मॉडल पर बनाया गया है। इसके तहत तीनों दल अपने वैचारिक मुद्दों को ताक पर रखकर आगे बढ़ेंगे। उनका कहना है कि शिवसेना सावरकर, गोडसे, बांग्लादेशी घुसपैठियों और मुस्लिम आरक्षण पर रुख नरम करेगी और इन मुद्दों पर आक्रामक होने से बचेगी। किसानों की कर्जमाफी, मुंबई व अन्य शहरों में आधारभूत विकास, 10 रुपये में थाली, एक रुपये में मरीजों की जांच जैसे जनहित के मुद्दों पर तीनों दल मिलकर काम करेंगे। साथ ही विवादास्पद मुद्दों को छोड़कर एक-दूसरे के प्रमुख चुनावी वादों को पूरा करने में मदद करेंगे।
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का प्रतिनिधिमंडल शनिवार शाम 4 बजे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलेगा। पहले केवल एनसीपी-कांग्रेस नेताओं के मिलने की बात थी। बाद में शिवसेना ने कहा कि उसके नेता भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होंगे। तीनों दलों के एक साथ जाने पर सरकार बनाने की दावेदारी की भी अटकलें लग रही हैं। हालांकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलकर किसानों की समस्याओं को उठाएगा और उनकी मदद करने की अपील करेगा। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात सरकार बनाने की दावेदारी पेश करने के लिए नहीं है।